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महिला हेल्पलाइन योजना – महिलाओं की सुरक्षा के लिए सरकार की सशक्त पहल |

भारत एक ऐसी संस्कृति वाला देश है जहां महिलाओं को देवी माना जाता है, लेकिन यही देश महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा, उत्पीड़न और भेदभाव का भी गवाह बन रहा है। घरेलू हिंसा, कार्यस्थलों पर उत्पीड़न, एसिड अटैक, साइबर अपराध, तस्करी और लैंगिक भेदभाव जैसी समस्याएं आज भी लाखों महिलाओं को मानसिक, शारीरिक और सामाजिक रूप से प्रभावित कर रही हैं। क्या है महिला हेल्पलाइन योजना? महिला हेल्पलाइन योजना (Women Helpline Scheme – WHL), भारत की सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा संचालित एक राष्ट्रीय स्तर की सुरक्षा और सेवा है, जिसका मुख्य उद्देश्य संकट में फंसी महिलाओं को 24×7 आपातकालीन सहायता प्रदान करते है।इस योजना के तहत टोल-फ्री नंबर 181 जारी किया गया है, जिसके माध्यम से देश के किसी भी हिस्से से कोई भी महिला बिना किसी शुल्क के कॉल करके सहायता प्राप्त कर सकती है। यह सेवा महिलाओं को पुलिस, अस्पताल, वन-स्टॉप सेंटर (OSC), कानूनी सहायता केंद्र और परामर्श सेवाओं से जोड़ती है।  योजना के तहत किन स्थितियों में सहायता मिलती है: घरेलू हिंसा (पति या परिवार द्वारा मारपीट/दबाव) यौन उत्पीड़न (कार्यस्थल या सार्वजनिक स्थान पर) एसिड अटैक मानसिक उत्पीड़न या धमकी बाल विवाह या मानव तस्करी साइबर क्राइम या ऑनलाइन उत्पीड़न महिला शिकायत दर्ज न होने की स्थिति महिला हेल्पलाइन महिला हेल्पलाइन योजना के उद्देश्य तत्काल सहायता प्रदान करना: महिला हेल्पलाइन योजना का प्रमुख उद्देश्य संकट में फंसी महिलाओं को 24×7 आपातकालीन सहायता प्रदान करना है। यह उन्हें तुरंत सुरक्षित स्थान, चिकित्सा सेवा, या कानून व्यवस्था से जोड़कर राहत देने का कार्य करती है। संस्थागत समन्वय सुनिश्चित करना: यह योजना पुलिस विभाग, वन-स्टॉप सेंटर (OSC), अस्पताल, कानूनी सेवा प्राधिकरण और अन्य संबंधित संस्थाओं के साथ समन्वय स्थापित करके महिला पीड़िता को हर स्तर पर मदद पहुंचाती है। पुनर्वास और परामर्श सुविधा: हिंसा से प्रभावित महिलाओं के लिए केवल सुरक्षा ही नहीं, बल्कि मानसिक और सामाजिक पुनर्वास भी अत्यंत आवश्यक है। इस योजना के तहत उन्हें काउंसलिंग, आश्रय गृह, और पुनर्वास सहायता उपलब्ध कराई जाती है ताकि वे फिर से आत्मविश्वास के साथ जीवन जी सकें। सामाजिक जागरूकता का निर्माण: महिला हेल्पलाइन योजना का उद्देश्य समाज में महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और अधिकारों के प्रति सकारात्मक सोच और संवेदनशीलता को बढ़ावा देना भी है। यह योजना पोस्टर, मीडिया, सोशल नेटवर्क और जमीनी कार्यकर्ताओं के माध्यम से जागरूकता फैलाने का कार्य करती है। वंचित वर्गों तक पहुंच: यह योजना सिर्फ मुख्यधारा की महिलाओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों, सेक्स वर्कर्स, मानसिक या शारीरिक रूप से अक्षम महिलाओं तक भी समान रूप से पहुंचने और सहायता प्रदान करने की प्रतिबद्धता रखती है। इसका उद्देश्य समावेशी सुरक्षा तंत्र स्थापित करना है। महिला हेल्पलाइन योजना की प्रमुख सेवाएं टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 181 पर 24×7 सहायता पुलिस सहायता, एंबुलेंस, OSC से कनेक्टिविटी कानूनी परामर्श और मेडिकल मदद सोशल मीडिया उत्पीड़न, फोन कॉल/मैसेज आदि पर कार्रवाई पीड़िता को नजदीकी थाने, अस्पताल या आश्रय गृह तक पहुंचाना केस ट्रैकिंग और फॉलो-अप की व्यवस्था संपर्क के विभिन्न माध्यम मोबाइल कॉल / SMS व्हाट्सएप / सोशल मीडिया (Facebook, Twitter आदि) वेबसाइट / ईमेल / मोबाइल ऐप वीडियो कॉलिंग – विशेष रूप से दिव्यांग महिलाओं के लिए महिला हेल्पलाइन योजना की सबसे बड़ी विशेषता इसकी त्वरित और समन्वित प्रतिक्रिया प्रणाली है, जो किसी भी संकट की स्थिति में तुरंत सक्रिय हो जाती है :   त्वरित सहायता व्यवस्था ▫ पीसीआर वैन और 108 एंबुलेंस की तत्काल तैनाती ▫ ज़रूरत पड़ने पर तुरंत मेडिकल और सुरक्षा सहायता  कॉन्फ्रेंस कॉल के माध्यम से समन्वय ▫ पुलिस, OSC (वन स्टॉप सेंटर), जिला अधिकारी आदि से रियल-टाइम संपर्क ▫ शिकायतकर्ता को सीधे संबंधित एजेंसी से जोड़ा जाता है  डिजिटल रजिस्ट्रेशन और ट्रैकिंग ▫ हर शिकायत का कंप्यूटराइज्ड रिकॉर्ड ▫ ट्रैकिंग सिस्टम से अधिकारी हर अपडेट देख सकते हैं  फॉलो-अप कॉल और पुष्टि ▫ सहायता पहुंचने के बाद प्रतिनिधि दोबारा कॉल करते हैं ▫ सुनिश्चित किया जाता है कि महिला को सेवा समय पर मिली हो महिला हेल्पलाइन योजना केवल एक सरकारी सेवा नहीं, बल्कि एक ऐसी जीवन रेखा है जो संकट की घड़ी में हर महिला को आश्वासन देती है – “आप अकेली नहीं हैं”। यह 181 हेल्पलाइन न केवल तत्काल सुरक्षा और सहायता प्रदान करती है, बल्कि महिलाओं के आत्मसम्मान, अधिकार और स्वतंत्रता की रक्षा भी करती है। आज के समय में, जब महिलाओं को घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, साइबर अपराध, एसिड अटैक, मानव तस्करी जैसी भयावह समस्याओं का सामना करना पड़ता है, ऐसे में यह योजना उन्हें न सिर्फ मदद पहुंचाती है, बल्कि न्याय पाने की दिशा में पहला कदम भी बनती है। इसके माध्यम से महिलाओं को कानूनी सहायता, काउंसलिंग, चिकित्सा सेवाएं, और रेस्क्यू ऑपरेशन जैसी कई सेवाएं मिलती हैं। Q1. महिला हेल्पलाइन योजना का टोल-फ्री नंबर क्या है? 181 – यह नंबर 24 घंटे और सप्ताह के सभी दिन काम करता है। Q2. क्या इस योजना का लाभ सभी महिलाएं उठा सकती हैं? हां, कोई भी महिला या लड़की जो संकट में हो, इस सेवा का उपयोग कर सकती है। Q3. क्या यह सेवा ग्रामीण क्षेत्रों में भी उपलब्ध है? जी हां, यह योजना पूरे भारत में लागू है और सभी राज्यों में कार्यरत है। Q4. क्या शिकायत करने पर मेरी पहचान गोपनीय रखी जाएगी? हां, सभी जानकारी पूर्ण रूप से गोपनीय रखी जाती है। जुलाई 21, 2025 Anushil

समर्थ योजना (हथकरघा और हस्तशिल्प क्षेत्र में महिलाओं के लिए) | Samarth Yojana in Hindi [2025]

समर्थ योजना

समर्थ योजना भारत की सांस्कृतिक विरासत सदियों पुरानी और अत्यंत समृद्ध रही है, जिसमें हथकरघा और हस्तशिल्प उद्योग की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। ये न केवल हमारी कला, परंपरा और स्थानीय पहचान के प्रतीक हैं, बल्कि लाखों लोगों—विशेषकर महिलाओं के लिए रोज़गार और जीविका का भी प्रमुख स्रोत हैं। ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में बड़ी संख्या में महिलाएं इन पारंपरिक शिल्पों से जुड़ी हुई हैं, लेकिन उन्हें अक्सर तकनीकी ज्ञान, आधुनिक डिज़ाइन, मार्केटिंग स्किल्स, और बाजार तक सीधी पहुंच की कमी के कारण अपने कार्य का उचित मूल्य नहीं मिल पाता। समर्थ योजना क्या है? समर्थ योजना वस्त्र मंत्रालय (Ministry of Textiles) द्वारा चलाई जा रही एक कौशल विकास योजना है, जिसके अंतर्गत हथकरघा, हस्तशिल्प, परिधान और वस्त्र उद्योग से जुड़े लोगों को प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर प्रदान किए जाते हैं। इस योजना का विशेष फोकस महिलाओं और युवतियों को आधुनिक तकनीकों, डिज़ाइन और विपणन के क्षेत्र में दक्ष बनाना है। समर्थ योजना – मुख्य उद्देश्य समर्थ योजना का मूल उद्देश्य महिला कारीगरों और बुनकरों को प्रशिक्षित कर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है, ताकि वे अपने पारंपरिक कौशल को आधुनिक बाज़ार से जोड़कर आत्मनिर्भर बन सकें।” महिलाओं को तकनीकी और व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करना स्थानीय कारीगरों और बुनकरों को बाज़ार से जोड़ना महिलाओं को स्वरोजगार और उद्यमिता की ओर प्रेरित करना ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर बढ़ाना हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योग को आधुनिक बनाना प्रशिक्षण में शामिल विषय समर्थ योजना के अंतर्गत महिलाओं को व्यावसायिक दक्षता बढ़ाने के लिए व्यापक प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसमें पारंपरिक शिल्पकला के साथ-साथ आधुनिक तकनीकों और मार्केटिंग की जानकारी भी शामिल होती है पारंपरिक हथकरघा व हस्तशिल्प डिज़ाइन टेक्सटाइल प्रिंटिंग और प्रोसेसिंग फैशन डिज़ाइनिंग और गारमेंट मैन्युफैक्चरिंग पैकिंग, ब्रांडिंग और ऑनलाइन मार्केटिंग वित्तीय साक्षरता और बैंकिंग सेवाएं कैसे करें आवेदन? समर्थ योजना का लाभ उठाने के इच्छुक महिला कारीगर और बुनकर आसानी से निर्धारित प्रक्रिया के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं, जो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से उपलब्ध है। www.samarth-textiles.gov.in पर जाएं “Beneficiary Registration” सेक्शन पर क्लिक करें मांगी गई जानकारी भरें – नाम, पता, कौशल क्षेत्र, आदि दस्तावेज़ अपलोड करें – आधार कार्ड, फोटो आदि फॉर्म सबमिट करें और आवेदन की पुष्टि प्राप्त करें समर्थ योजना का प्रभाव (Impact of Samarth Yojana ) 1. हज़ारों महिलाओं को रोज़गार और आत्मनिर्भरता मिली: समर्थ योजना के माध्यम से देश के विभिन्न राज्यों में हज़ारों महिला कारीगरों को व्यावसायिक प्रशिक्षण और रोज़गार के अवसर मिले हैं। ये महिलाएं अब न केवल अपने पारंपरिक कौशल का इस्तेमाल कर रही हैं, बल्कि स्थायी आय भी अर्जित कर रही हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास और परिवार की सामाजिक स्थिति में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है। 2. परंपरागत शिल्पों को बाजार से जोड़ने में मदद: इस योजना ने लंबे समय से उपेक्षित स्थानीय शिल्प, जैसे– चन्देरी, बनारसी, कांचीपुरम, कांथा, फड़ चित्रकला, मधुबनी, और अन्य हस्तनिर्मित उत्पादों को बाजार तक पहुँचाने का माध्यम प्रदान किया है। इससे न केवल महिला कारीगरों की आमदनी बढ़ी है, बल्कि भारतीय पारंपरिक कला को भी नया जीवन मिला है। 3. महिलाएं अपने उत्पादों को खुद ब्रांड और प्रमोट कर पा रही हैं: समर्थ योजना में शामिल महिलाओं को ब्रांडिंग, पैकेजिंग और डिजिटल मार्केटिंग जैसी आधुनिक तकनीकों का प्रशिक्षण दिया गया है। इससे अब वे अपने उत्पादों को स्वयं ब्रांडिंग कर रही हैं, ई-कॉमर्स वेबसाइटों और सोशल मीडिया के ज़रिए प्रमोट कर सीधे ग्राहकों तक बेच रही हैं। यह परिवर्तन उन्हें उद्यमिता की ओर अग्रसर कर रहा है। 4. ग्रामीण और सीमांत क्षेत्रों की महिलाएं भी डिजिटल स्किल्स सीख रही हैं: जो महिलाएं पहले मोबाइल या इंटरनेट का उपयोग नहीं कर पाती थीं, वे अब ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन, ऑर्डर प्रोसेसिंग, डिजिटल पेमेंट, और सोशल मीडिया हैंडलिंग जैसे स्किल्स सीखकर आधुनिक व्यापार प्रणाली में भाग ले रही हैं। इससे ना केवल उनका टेक्नोलॉजिकल सशक्तिकरण हुआ है, बल्कि वे ग्लोबल कंज़्यूमर मार्केट का हिस्सा भी बन रही | समर्थ योजना न केवल एक कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम है, बल्कि यह भारत की महिला कारीगरों और बुनकरों के भविष्य को रोशन करने की दिशा में एक मजबूत कदम है। यदि इस योजना का सही तरीके से क्रियान्वयन किया जाए तो यह महिलाओं को सृजनात्मक शक्ति से आर्थिक शक्ति में बदलने का माध्यम बन सकती है।

क्रेच योजना 2025: कामकाजी महिलाओं को अब नहीं होगी बच्चों की चिंता

क्रेच योजना

आज का भारत तेज़ी से आगे बढ़ रहा है — हर क्षेत्र में महिलाएं अपनी भूमिका निभा रही हैं। वे डॉक्टर बन रही हैं, इंजीनियर, पुलिस ऑफिसर, बिज़नेस वूमेन और शिक्षिका भी। लेकिन जब बात छोटे बच्चों की परवरिश की आती है, तो वही महिलाएं जो ऑफिस में निर्णय ले रही होती हैं, घर पर माँ बनकर बच्चों की देखभाल की दोहरी ज़िम्मेदारी उठाती हैं। बच्चों की चिंता, महिलाओं की बड़ी रुकावट – क्रेच योजना कई महिलाएं सिर्फ इसलिए करियर में ब्रेक ले लेती हैं क्योंकि उन्हें बच्चों को अकेला छोड़ने का डर सताता है। खासकर 6 साल से कम उम्र के बच्चों की देखभाल एक संवेदनशील और पूरी तरह समर्पित जिम्मेदारी होती है। ऐसे में कामकाजी महिलाओं के लिए यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि वे माँ बनें या प्रोफेशनल। सरकार की पहल — क्रेच योजना इसी सामाजिक और व्यावसायिक चुनौती को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार ने 2024-25 के केंद्रीय बजट में एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक घोषणा की — क्रेच योजना। इस योजना के अंतर्गत, सरकार निजी क्षेत्र (Private Sector) के साथ मिलकर देशभर में कार्यस्थलों के पास क्रेच (Day Care Centres) स्थापित करेगी। इन क्रेचों में बच्चों को मिलेगा: प्यार भरा सुरक्षित वातावरण पौष्टिक आहार शिक्षित और प्रशिक्षित देखभालकर्ता खेल और शिक्षा का संतुलन  उद्देश्य बिल्कुल स्पष्ट है: “महिलाओं को बिना किसी चिंता के काम करने का अवसर देना, और उनके बच्चों को उनके पास ही सुरक्षित वातावरण में देखभाल मुहैया कराना।” अब एक महिला यह सोचकर नौकरी छोड़ने पर मजबूर नहीं होगी कि उसके बच्चे का क्या होगा। वह आत्मनिर्भर भी बनेगी और उसके बच्चे को भी बेहतर परवरिश मिलेगी। क्रेच योजना – इस योजना का उद्देश्य क्या है? कामकाजी महिलाओं को सहयोग देना, ताकि वे बच्चों की देखभाल की चिंता किए बिना नौकरी जारी रख सकें। महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी बढ़ाना, ताकि देश में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिले। सुरक्षित, भरोसेमंद और गुणवत्तापूर्ण बाल देखभाल सेवा उपलब्ध कराना। निजी और सरकारी साझेदारी के माध्यम से क्रेचों की संख्या बढ़ाना। क्रेच योजना – क्या है योजना की खास बातें?    क्रेच योजना 2025 को सरकार ने इस तरह से डिज़ाइन किया है कि यह सिर्फ एक सुविधा नहीं, बल्कि कामकाजी महिलाओं के लिए एक भरोसेमंद सहारा बने। आइए जानते हैं इस योजना की मुख्य विशेषताएं: नेशनल मिनिमम स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल जारी किया गया है ताकि हर क्रेच में समान गुणवत्ता की सेवाएं मिल सकें। क्रेचों के संचालन के लिए निजी उद्योग, संस्थाएं, NGOs, यूनिवर्सिटी, अस्पताल, यूनिसेफ जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से सहयोग लिया जा रहा है। Public-Private Partnership (PPP) मॉडल पर आधारित योजना होगी। महिलाओं को उनके कार्यस्थल के पास ही सरकारी मदद से चलने वाला सुरक्षित क्रेच मिलेगा। क्रेच योजना – किन महिलाओं को होगा सीधा फायदा? क्रेच योजना 2025 विशेष रूप से उन कामकाजी महिलाओं के लिए बनाई गई है, जो छोटे बच्चों की देखभाल की चिंता के कारण या तो काम छोड़ देती हैं या करियर में आगे नहीं बढ़ पातीं। यह योजना उनके लिए समर्पित सहारा बनकर सामने आ रही है। निजी और सरकारी क्षेत्र में काम करने वाली महिलाएं   फैक्ट्री, अस्पताल, बैंक, यूनिवर्सिटी जैसी जगहों पर कार्यरत महिलाएं   विशेष रूप से उन महिलाओं को जिनके छोटे बच्चे हैं और जिन्हें काम के दौरान बच्चों की देखभाल की चिंता रहती है। यहां अपना शीर्षक टेक्स्ट जोड़ें 1. सभी जिलों में चरणबद्ध विस्तार सरकार की मंशा है कि अगले 2–3 वर्षों में हर ज़िले में कम से कम एक मॉडल क्रेच केंद्र स्थापित किया जाए। इसके बाद चरणबद्ध तरीके से हर औद्योगिक क्षेत्र, सरकारी दफ्तर, और शिक्षण संस्थान में क्रेच सुविधा विकसित की जाएगी। 2. मोबाइल क्रेच की शुरुआत ग्रामीण क्षेत्रों, निर्माण स्थलों या अस्थायी कार्यस्थलों पर काम करने वाली महिलाओं के लिए सरकार मोबाइल क्रेच सुविधा लाने पर भी विचार कर रही है। ये क्रेच वैन की तरह चलेंगे और जहां ज़रूरत हो वहां अस्थायी रूप से बच्चों की देखभाल करेंगे। 3. क्रेच स्टाफ के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम हर क्रेच में प्रशिक्षित देखभालकर्ता (Caregivers) की नियुक्ति के लिए सरकार विशेष सर्टिफाइड ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू करेगी, ताकि बच्चों की देखभाल में कोई कमी न रह जाए। 4. निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन सरकार निजी कंपनियों को कर छूट (Tax Benefit), CSR स्कोर, या अन्य रियायतें देकर प्रोत्साहित करेगी कि वे अपने संस्थानों में क्रेच स्थापित करें या सरकारी प्रयासों में भागीदार बनें। 5. ट्रैकिंग और मूल्यांकन प्रणाली भविष्य में हर क्रेच को डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम से जोड़ा जाएगा ताकि: बच्चों की उपस्थिति, पोषण, स्वास्थ्य और गतिविधियों पर निगरानी रखी जा सके माता-पिता को मोबाइल ऐप के जरिए अपडेट मिल सके योजना के क्रियान्वयन की पारदर्शिता बनी रहे 6. अन्य सरकारी योजनाओं से एकीकरण क्रेच योजना को सुकन्या समृद्धि योजना, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, और मिशन शक्ति जैसी योजनाओं से जोड़ा जाएगा ताकि एक महिला को स्वास्थ्य, सुरक्षा और आर्थिक मदद एक साथ मिल सके। क्रेच योजना FAQ प्रश्न 1: क्रेच योजना क्या है? ▶ उत्तर: यह एक सरकारी योजना है जिसके तहत कार्यस्थलों के पास बच्चों की देखभाल के लिए क्रेच (Day Care Centre) बनाए जाएंगे, ताकि कामकाजी महिलाएं अपने छोटे बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतामुक्त होकर काम कर सकें। प्रश्न 2: किन महिलाओं को इस योजना का लाभ मिलेगा? ▶ उत्तर: निजी कंपनियों, फैक्ट्रियों, स्कूलों, अस्पतालों और सरकारी संस्थानों में काम करने वाली सभी महिलाएं जिनके छोटे बच्चे हैं, इस योजना का लाभ उठा सकती हैं। प्रश्न 3: क्या क्रेच सेवा मुफ्त होगी? ▶ उत्तर: कुछ सरकारी क्रेच निशुल्क होंगे, जबकि कुछ में मामूली शुल्क लिया जा सकता है, जो कि बहुत ही किफायती होगा। प्रश्न 4: क्या यह योजना ग्रामीण इलाकों में भी लागू होगी? ▶ उत्तर: हां, सरकार की योजना है कि आने वाले समय में क्रेच व्यवस्था को छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों तक भी विस्तार दिया जाए, खासकर उन इलाकों में जहां महिलाएं खेतों, फैक्ट्रियों या निर्माण स्थलों पर काम करती हैं। प्रश्न 5: क्रेच में क्या-क्या सुविधाएं होंगी? ▶ उत्तर: हर क्रेच में बच्चों के लिए सुरक्षित वातावरण, पोषणयुक्त भोजन, प्रशिक्षित देखभालकर्ता, खेल-कूद की व्यवस्था और शुरुआती शिक्षा देने का प्रावधान होगा।

वन स्टॉप सेंटर योजना (OSC): महिलाओं के लिए एक ही जगह पर सभी सहायता सेवाएं

वन स्टॉप सेंटर योजना

आज के दौर में महिलाओं के खिलाफ हिंसा एक गंभीर समस्या बनी हुई है — चाहे वह घरेलू हिंसा हो, यौन उत्पीड़न, दहेज प्रताड़ना, या सार्वजनिक जगहों पर छेड़छाड़। ऐसे में पीड़ित महिलाओं को अक्सर अलग-अलग जगहों पर मदद के लिए जाना पड़ता है — कभी पुलिस स्टेशन, कभी अस्पताल, कभी अदालत। इसी समस्या को हल करने के लिए सरकार ने एक क्रांतिकारी पहल की — वन स्टॉप सेंटर योजना वन स्टॉप सेंटर योजना योजना का उद्देश्य वन स्टॉप सेंटर योजना का उद्देश्य है — महिलाओं के खिलाफ हिंसा की किसी भी घटना की स्थिति में पीड़िता को एक ही जगह पर पुलिस, मेडिकल, कानूनी, मानसिक और अस्थायी आवास जैसी सभी ज़रूरी सेवाएं उपलब्ध कराना। यह योजना विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए है जो किसी प्रकार की हिंसा का शिकार हुई हैं — चाहे वह घरेलू, सार्वजनिक, कार्यस्थल, ऑनलाइन या मानसिक हिंसा हो। कहां-कहां स्थापित हैं वन स्टॉप सेंटर? वन स्टॉप सेंटर (OSC) देश के हर ज़िले में स्थापित किए जा रहे हैं। 2025 तक देश के लगभग 738 जिलों में 700+ OSCs सक्रिय हैं। ये सेंटर आमतौर पर जिला मुख्यालय, अस्पताल परिसर या कलेक्टर ऑफिस के पास स्थित होते हैं ताकि जरूरतमंद महिलाओं को तुरंत सहायता मिल सके। वन स्टॉप सेंटर योजना की मुख्य सेवाएं वन स्टॉप सेंटर एक ऐसा केंद्र है जहां पर महिला को सभी सेवाएं “एक छत के नीचे” मिलती हैं। इसमें शामिल हैं: 1. पुलिस सहायता OSC में महिला को FIR दर्ज कराने और पुलिस से संपर्क में मदद मिलती है। यदि मामला गंभीर है तो OSC सीधे पुलिस को बुलाकर कार्रवाई शुरू करवा सकता है। 2. कानूनी परामर्श OSC में लीगल काउंसलर होते हैं जो महिला को उसके अधिकार, कानूनी प्रक्रिया, और केस से जुड़े विकल्प समझाते हैं। यदि आवश्यक हो, तो मुफ्त वकील भी उपलब्ध कराया जाता है। 3. मेडिकल सहायता आवश्यक होने पर पीड़िता को सरकारी अस्पताल में तुरंत मेडिकल जांच और इलाज दिलवाया जाता है। रेप या गंभीर शारीरिक चोटों की स्थिति में प्राथमिकता दी जाती है। 4. मानसिक काउंसलिंग (Psychosocial Support) हिंसा की शिकार महिला के लिए मानसिक और भावनात्मक रूप से मज़बूत होना जरूरी है। OSC में प्रशिक्षित काउंसलर महिला की काउंसलिंग करते हैं ताकि वह आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ सके। 5. आश्रय सुविधा (Temporary Shelter) जरूरत पड़ने पर महिला को सेंटर में 3–5 दिन तक ठहरने की सुविधा मिलती है, और आगे उसे महिला हॉस्टल या सरकारी आश्रय गृह से जोड़ा जाता है। 6. केस फॉलो-अप OSC सिर्फ तुरंत सहायता ही नहीं देता, बल्कि केस की प्रगति पर नज़र भी रखता है और जरूरत के हिसाब से आगे की मदद करता है। किन महिलाओं को मिलता है लाभ? 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र की कोई भी महिला घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, रेप, दहेज प्रताड़ना, बाल विवाह या साइबर क्राइम की पीड़िता यदि महिला मानसिक रूप से असमर्थ है, तो उसके परिवार की ओर से भी शिकायत दर्ज की जा सकती है वन स्टॉप सेंटर योजना का संचालन कौन करता है? वन स्टॉप सेंटर योजना का संचालन महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (Ministry of Women and Child Development) द्वारा किया जाता है। राज्य सरकारें और स्थानीय प्रशासन OSC की निगरानी, स्टाफ नियुक्ति और संचालन की ज़िम्मेदारी निभाते हैं। कैसे करें संपर्क या शिकायत दर्ज? महिला हेल्पलाइन नंबर: 181 OSC में जाकर सीधे सहायता मांग सकते हैं पुलिस स्टेशन या अस्पताल से OSC रेफर कर सकते हैं राज्य की वेबसाइट या महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की साइट पर OSC की जानकारी उपलब्ध होती है वन स्टॉप सेंटर योजना (OSC) महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक ठोस प्रयास है। यह योजना यह दिखाती है कि सरकार महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को लेकर गंभीर है। जब कोई महिला संकट में होती है, तो उसे इधर-उधर भटकने की जरूरत नहीं — OSC है उसकी मदद के लिए, हर समय, हर कदम पर। वन स्टॉप सेंटर योजना FAQ प्रश्न 1: वन स्टॉप सेंटर योजना क्या है? ▶ उत्तर: यह एक सरकारी योजना है जहां महिलाओं को हिंसा की स्थिति में एक ही जगह पर पुलिस, मेडिकल, कानूनी, मानसिक और आश्रय जैसी सभी सेवाएं दी जाती हैं। प्रश्न 2: OSC में कौन जा सकता है? ▶ उत्तर: कोई भी महिला जो किसी भी प्रकार की हिंसा (शारीरिक, मानसिक, यौन या साइबर) का शिकार हुई हो, OSC की सहायता ले सकती है। प्रश्न 3: क्या OSC की सेवाएं मुफ्त हैं? ▶ उत्तर: हां, OSC की सभी सेवाएं पूरी तरह से निशुल्क (Free) हैं। प्रश्न 4: क्या OSC में पुरुष शिकायत नहीं कर सकते? ▶ उत्तर: यह योजना केवल महिलाओं के लिए है। हालांकि, बच्चों और ट्रांसजेंडर समुदाय की पीड़िताएं भी कुछ विशेष परिस्थितियों में लाभ ले सकती हैं। प्रश्न 5: क्या OSC केवल शहरों में हैं? ▶ उत्तर: नहीं, सरकार ने हर ज़िले में OSC स्थापित किए हैं और आने वाले वर्षों में इसे ब्लॉक स्तर तक बढ़ाने की योजना है।

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) 2025: गर्भवती महिलाओं के लिए ₹6000 की आर्थिक सहायता

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना

गर्भावस्था महिलाओं के जीवन का एक बेहद संवेदनशील और महत्वपूर्ण समय होता है। इस दौरान उन्हें शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करना है। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना क्या है? प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) केंद्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जो गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को ₹5,000 तक की आर्थिक सहायता प्रदान करती है। यह लाभ पहले जीवित बच्चे के जन्म पर दिया जाता है, ताकि गर्भवती महिला को उचित पोषण और चिकित्सा देखभाल मिल सके। इस योजना को पहली बार वर्ष 2017 में शुरू किया गया था और 2022 में इसे और प्रभावी बनाने के लिए पुनः डिज़ाइन किया गया। यह योजना कामकाजी और गैर-कामकाजी दोनों वर्ग की महिलाओं के लिए सहायक है। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को पोषण के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करना मातृत्व के कारण आय में हुई कमी की आंशिक भरपाई करना शिशु के जन्म पूर्व और बाद की देखभाल में मदद करना संस्थागत प्रसव (Hospital Delivery) को बढ़ावा देना नवजात शिशु को स्तनपान के लिए प्रोत्साहित करना गर्भावस्था में पोषण की ज़रूरत गर्भवती महिला को प्रतिदिन 200 कैलोरी अतिरिक्त और अधिक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, ताकि उसका शरीर और गर्भस्थ शिशु दोनों स्वस्थ रह सकें। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, बच्चे को जन्म के पहले छह महीने तक केवल स्तनपान ही दिया जाना चाहिए, जिसके लिए माँ का स्वस्थ और पोषण युक्त होना अत्यंत आवश्यक है। PMMVY योजना इस पोषण संबंधी ज़रूरत को आर्थिक सहायता देकर पूरा करने में मदद करती है। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के लाभ ₹5,000 की वित्तीय सहायता — तीन किश्तों में है | महिला को अपने और गर्भस्थ शिशु की देखभाल के लिए मदद मिलेगी | जन्म के बाद शिशु को पर्याप्त पोषण देने में सहायता | पोषण के प्रति जागरूकता बढ़ती है | सरकारी अस्पतालों में पंजीकरण और देखभाल के लिए प्रोत्साहन मिलेगी | प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना भुगतान की प्रक्रिया योजना के तहत कुल ₹5,000 की राशि तीन किश्त में दी जाती है: पहली किश्त (₹1,000): गर्भावस्था की पुष्टि और पंजीकरण के बाद दूसरी किश्त (₹2,000): गर्भावस्था के 6 महीने पूरे होने पर मिलेगी | तीसरी किश्त (₹2,000): बच्चे के जन्म होने के बाद , सभी आवश्यक टीकाकरण के बाद मिलेगी | नोट: कुछ राज्यों में यह राशि अलग भी हो सकती है यदि राज्य की अपनी योजना भी चल रही हो।  योजना का असर लाखों महिलाओं को अब तक आर्थिक लाभ मिल चुका है मातृ मृत्यु दर (MMR) में गिरावट दर्ज की गई है संस्थागत प्रसव में वृद्धि हुई है बच्चों का टीकाकरण और स्तनपान दर में सुधार हुआ है प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) देश की माताओं के लिए एक सशक्तिकरण की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है। यह योजना न केवल आर्थिक सहायता प्रदान करती है, बल्कि महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान बेहतर पोषण और स्वास्थ्य देखभाल का अवसर भी देती है। इससे मातृत्व के समय माँ और शिशु दोनों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार आता है। यदि आप या आपके परिवार की कोई सदस्य इस योजना के पात्र हैं, तो इसका लाभ ज़रूर उठाएं — क्योंकि एक स्वस्थ माँ ही एक स्वस्थ समाज की नींव रखती है। आवेदन प्रक्रिया नजदीकी आंगनवाड़ी केंद्र या सरकारी अस्पताल में जाकर फॉर्म भरें और योजना का लैब उठयें | आवश्यक दस्तावेज़ जमा करें (नीचे सूची देखें) सरे दस्तावीज़ों को ध्यान से पढ़ें | पंजीकरण के बाद आवेदन की स्थिति की जानकारी SMS के माध्यम से मिलती है पैसा सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में ट्रांसफर होता है प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY)  यह योजना न केवल माँ के स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है, बल्कि नवजात शिशु के विकास और सुरक्षा में भी बड़ी भूमिका निभाती है। अगर आप या आपके आसपास कोई महिला गर्भवती है, तो उसे इस योजना के बारे में जरूर बताएं — क्योंकि एक स्वस्थ माँ ही एक स्वस्थ पीढ़ी की जननी होती है। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना – FAQs प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल प्रश्न 1: क्या यह योजना सभी महिलाओं के लिए है? यह योजना सभी गर्भवती महिलाओं के लिए है, लेकिन इसका लाभ केवल पहले जीवित बच्चे के लिए ही प्रदान किया जाता है। प्रश्न 2: क्या किसी प्राइवेट अस्पताल में डिलीवरी पर भी योजना लागू होती है? नहीं, इस योजना का लाभ तभी मिलेगा जब महिला सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में पंजीकृत हो और वहीं पर ANC (एंटीनेटल चेकअप) करवा रही हो। प्रश्न 3: PMMVY की राशि कैसे और कब मिलती है? कुल ₹5,000 की सहायता राशि तीन चरणों में दी जाती है: 1. गर्भावस्था की पुष्टि पर ₹1,000 2. 6 महीने पूरे होने पर ₹2,000 3. बच्चे के प्रथम टीकाकरण (BCG, OPV, DPT) के बाद ₹2,000 प्रश्न 4: क्या योजना में ऑनलाइन आवेदन संभव है? हां, कई राज्यों में आप PMMVY पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। साथ ही, आंगनवाड़ी केंद्र से भी आवेदन किया जा सकता है। प्रश्न 5: आवेदन के लिए कौन-कौन से दस्तावेज़ आवश्यक हैं? नीचे दिए गए दस्तावेज़ जरूरी हैं: – आधार कार्ड – बैंक खाता विवरण – MCP कार्ड – बच्चे का टीकाकरण प्रमाण पत्र – पहचान पत्र (जैसे वोटर आईडी, राशन कार्ड)

दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (DAY-NULM) क्या है?

दीनदयाल अंत्योदय योजना

दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (DAY-NULM) भारत सरकार की एक प्रमुख योजना है, जिसका उद्देश्य शहरी गरीब परिवारों को स्वरोजगार और कुशल मजदूरी के अवसर प्रदान कर उनकी आजीविका को स्थायी रूप से सशक्त बनाना है।यह योजना शहरी क्षेत्रों में रहने वाले गरीबों को न केवल वित्तीय सहायता देती है, बल्कि उन्हें व्यवसायिक रूप से आत्मनिर्भर बनने में भी मदद करती है। दीनदयाल अंत्योदय योजना योजना का उद्देश्य इस योजना का प्रमुख उद्देश्य है: शहरी गरीबों की आर्थिक अस्थिरता और बेरोजगारी को कम करना उन्हें स्वरोजगार और प्रशिक्षण के ज़रिये आजीविका के स्थायी साधन उपलब्ध कराना स्वयं सहायता समूहों (SHGs) का गठन कर जमीनी स्तर पर मजबूत संस्थान बनाना ऋण सहायता और वित्तीय लाभ DAY-NULM योजना के अंतर्गत गरीब शहरी नागरिकों को कम ब्याज दर पर ऋण सहायता दी जाती है ताकि वे स्व-रोजगार या छोटे व्यवसाय शुरू कर सकें। 🔹 व्यक्तिगत उद्यम के लिए ऋण: अधिकतम परियोजना लागत: ₹2,00,000 50,000 रुपये तक के ऋण पर कोई मार्जिन मनी नहीं 50,000 रुपये से ऊपर के ऋण पर 5% तक मार्जिन मनी, लेकिन अधिकतम 10% तक 🔹 स्वयं सहायता समूह (SHG) के लिए ऋण: प्रति सदस्य अधिकतम ₹2 लाख या समूह के लिए कुल ₹10 लाख तक का ऋण मार्जिन मनी का नियम वही लागू होता है: ₹50,000 तक कोई मार्जिन मनी नहीं, उससे अधिक पर 5% (10% से अधिक नहीं) 🔹 ब्याज दर और पुनर्भुगतान ब्याज दर: EBLR + 3.25% (अभी प्रभावी दर: 12.15% – दिनांक 15.02.2025 से) ऋण पुनर्भुगतान अवधि: 6 से 18 महीने की छूट अवधि के बाद 5 से 7 वर्ष तक सब्सिडी: बैंक ऋण पर अतिरिक्त 7% ब्याज सब्सिडी उपलब्ध है क्रेडिट गारंटी: वर्तमान में उपलब्ध नहीं आवेदन कैसे करें? नगर निगम या नगर पंचायत के तहत स्थापित शहरी आजीविका मिशन कार्यालय से संपर्क करें संबंधित बैंक शाखा में आवेदन फॉर्म प्राप्त कर भरें आवश्यक दस्तावेज़ों के साथ फॉर्म जमा करें बैंक द्वारा आवेदन की सक्रियता, योग्यता और योजना के अनुसार मूल्यांकन किया जाएगा जरूरी दस्तावेज़ आधार कार्ड निवास प्रमाण पत्र आय प्रमाण पत्र पासपोर्ट साइज फोटो बैंक खाता विवरण स्वरोजगार प्रस्ताव (Business Plan) योजना का असर (Impact of the Scheme): इस योजना का प्रभाव देशभर में व्यापक रूप से देखने को मिला है। हजारों शहरी गरीब परिवारों को इससे आजीविका के नए साधन प्राप्त हुए, जिससे उनकी जीवनशैली में सुधार आया। योजना के अंतर्गत स्वयं सहायता समूहों (SHGs) का गठन तेज़ी से हुआ, जिससे सामूहिक रूप से उद्यमिता को बढ़ावा मिला। स्ट्रीट वेंडर्स को पहचान मिली और उन्हें आर्थिक सुरक्षा भी प्राप्त हुई, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सके। इसके साथ ही, महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में यह योजना एक मजबूत स्तंभ साबित हुई, क्योंकि उन्हें न केवल प्रशिक्षण बल्कि ऋण और सब्सिडी के माध्यम से स्वरोजगार के अवसर भी मिले। शहरी गरीबी उन्मूलन योजना FAQ शहरी गरीबी उन्मूलन योजना – सामान्य प्रश्न प्रश्न 1: क्या यह योजना केवल शहरी गरीबों के लिए है? ▶ हां, यह योजना केवल शहरी क्षेत्रों में रहने वाले गरीब परिवारों के लिए है। प्रश्न 2: इस योजना में ऋण की अधिकतम सीमा क्या है? ▶ व्यक्तिगत उद्यम के लिए ₹2 लाख और SHG के लिए ₹10 लाख तक का ऋण मिल सकता है। प्रश्न 3: क्या महिलाओं को प्राथमिकता दी जाती है? ▶ हां, योजना के अंतर्गत महिला स्वयं सहायता समूहों को विशेष रूप से बढ़ावा दिया जाता है। प्रश्न 4: मार्जिन मनी क्या होती है? ▶ यह वह राशि है जो लाभार्थी को परियोजना में खुद लगानी होती है — ₹50,000 तक के ऋण पर नहीं ली जाती, उससे अधिक पर अधिकतम 10% तक। प्रश्न 5: योजना में सब्सिडी कैसे मिलती है? ▶ पात्र लाभार्थियों को 7% ब्याज पर सब्सिडी सरकार द्वारा बैंक ऋण पर दी जाती है।

महिला उद्यमिता योजना: महिला उद्यमियों के लिए प्रमुख सरकारी योजनाएं

महिला उद्यमिता

भारत में महिला उद्यमिता एक नया युग लिख रही है। देश में 1.57 करोड़ से अधिक महिला-स्वामित्व वाले उद्यम हैं, और आने वाले वर्षों में इस संख्या में 90% तक की वृद्धि का अनुमान है। महिलाएं आज स्टार्टअप से लेकर छोटे व्यवसायों तक, हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं। हालांकि, उन्हें अब भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है — जैसे पूंजी की कमी, प्रशिक्षण की अनुपलब्धता और सामाजिक पूर्वाग्रह। इन्हीं कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार और विभिन्न बैंक मिलकर महिला उद्यमियों के लिए कई योजनाएं चला रहे हैं, जिनका लाभ लेकर महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकती हैं। महिला उद्यमिता योजना का उद्देश्य इस योजना का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना, रोजगार सृजन को बढ़ावा देना और उद्यमशीलता की संस्कृति को ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों तक फैलाना है। महिला उद्यमियों के लिए प्रमुख  सरकारी ऋण योजनाएं1️⃣ प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) ₹10 लाख तक बिना गारंटी के ऋण महिलाओं को प्राथमिकता कम ब्याज दर तीन श्रेणियां: शिशु, किशोर, तरुण 2️⃣ स्टैंड-अप इंडिया योजना ₹10 लाख से ₹1 करोड़ तक का ऋण ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट के लिए प्रत्येक बैंक शाखा से कम से कम 1 महिला को ऋण कम से कम 51% महिला स्वामित्व अनिवार्य 3️⃣ महिला कॉयर योजना कॉयर कताई व प्रसंस्करण के लिए प्रशिक्षण उपकरण लागत का 75% सब्सिडी 25% मार्जिन मनी सब्सिडी ग्रामीण महिला कारीगरों के लिए 4️⃣ सीजीटीएमएसई (क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट) ₹200 लाख तक का ऋण कोई जमानत नहीं महिला उद्यमियों को 85% तक गारंटी कवर नए और मौजूदा व्यवसाय दोनों पात्र 5️⃣ प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) ₹25 लाख तक निर्माण इकाई हेतु ₹10 लाख सेवा क्षेत्र हेतु मार्जिन मनी सब्सिडी: 15-35% न्यूनतम शिक्षा: 8वीं पास 6️⃣ उद्यम शक्ति पोर्टल महिलाओं के लिए बिजनेस मार्गदर्शन ऑनलाइन प्रशिक्षण, मेंटरशिप इन्क्यूबेशन और बाजार रिसर्च सहायता घर से व्यवसाय शुरू करने में मददगार 7️⃣ TREAD योजना (व्यापार-संबंधित उद्यमिता सहायता) NGOs के माध्यम से 30% अनुदान 70% ऋण ऋणदाता संस्था द्वारा प्रशिक्षण और विकास सहायता ग्रामीण और अशिक्षित महिलाओं के लिए उपयुक्त महिला उद्यमियों के सामने प्रमुख चुनौतियाँ 1. सीमित वित्तीय पहुंच 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, 90% महिला उद्यमियों ने कभी औपचारिक ऋण नहीं लिया। 2. नेटवर्किंग की कमी 49% महिलाओं को पेशेवर नेटवर्क और मार्गदर्शन की कमी महसूस होती है। 3. पारिवारिक जिम्मेदारियां घरेलू और व्यवसायिक जिम्मेदारियों में संतुलन कठिन होता है। 4. प्रशिक्षण और शिक्षा की कमी 44% महिला व्यवसायियों ने कहा कि उन्हें व्यवसाय बढ़ाने के लिए पर्याप्त प्रशिक्षण नहीं मिला। एक महिला व्यवसाय ऋण के लिए कैसे आवेदन करें? निकटतम बैंक शाखा या योजना पोर्टल पर जाएं आवश्यक दस्तावेज़ जमा करें (आधार कार्ड, आय प्रमाण, बिजनेस प्लान आदि) आवेदन फॉर्म भरें और प्रक्रिया शुरू करें बैंक की मंज़ूरी के बाद ऋण स्वीकृत किया जाएगा भारत में महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने अनेक प्रभावशाली योजनाएं शुरू की हैं, जो महिलाओं को न केवल आर्थिक रूप से सक्षम बनाती हैं, बल्कि उन्हें समाज में आत्मनिर्भरता और सम्मान की ओर भी ले जाती हैं। चाहे वह मुद्रा योजना हो, स्टैंड-अप इंडिया या महिला कॉयर योजना — इनका उद्देश्य एक ही है: महिलाओं को उनके सपनों को पूरा करने का मंच देना। आज की महिला सिर्फ घर तक सीमित नहीं है, वह व्यवसाय, स्टार्टअप और नवाचार की दिशा में भी अग्रसर है। यदि आप भी महिला उद्यमिता की राह पर कदम रखना चाहती हैं, तो इन सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर अपने भविष्य को उज्जवल बना सकती हैं। यही समय है आगे बढ़ने का — “सशक्त महिला, सशक्त भारत” की दिशा में।  महिला उद्यमिता योजनाएं FAQ महिला उद्यमिता योजनाएं – सामान्य प्रश्न Q.1. क्या महिला उद्यमिता योजनाएं केवल महिलाओं के लिए होती हैं? ▶ हाँ, इन योजनाओं का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को वित्तीय और सामाजिक रूप से सशक्त बनाना है। Q.2. क्या इन योजनाओं में सब्सिडी मिलती है? ▶ हाँ, अधिकतर योजनाओं में मार्जिन मनी या ब्याज सब्सिडी का प्रावधान है। Q.3. महिला कॉयर योजना के लिए कौन पात्र है? ▶ 18 वर्ष से अधिक की ग्रामीण महिला जो कॉयर कताई का प्रशिक्षण ले चुकी हो। Q.4. मुद्रा योजना के तहत कितना ऋण मिल सकता है? ▶ ₹10 लाख तक का ऋण, वह भी बिना किसी संपार्श्विक के। Q.5. उद्यम शक्ति पोर्टल कैसे मदद करता है? ▶ यह पोर्टल व्यवसाय शुरू करने की संपूर्ण प्रक्रिया में मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और मेंटरशिप प्रदान करता है।

प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना (PMEGP) 2025: जानिए कैसे पाएं ₹25 लाख तक का बिजनेस लोन

प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP)

प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) भारत सरकार की एक प्रमुख योजना है, जिसे खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) द्वारा संचालित किया जाता है। इस योजना का उद्देश्य स्वरोजगार को बढ़ावा देना, नई परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना, और ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में नए उद्यम स्थापित करना है। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) का उद्देश्य युवाओं और बेरोजगारों को स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित करना ग्रामोद्योग, सेवा व निर्माण क्षेत्रों में नए व्यवसायों की स्थापना ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्थायी रोजगार के अवसर सृजित करना आत्मनिर्भर भारत मिशन को बढ़ावा देना प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) के लिए पात्रता मापदंड विवरण आयु न्यूनतम 18 वर्ष शैक्षणिक योग्यता कम से कम 8वीं पास (₹5 लाख से ऊपर की परियोजनाओं के लिए अनिवार्य) लाभार्थी वर्ग व्यक्ति, स्वयं सहायता समूह (SHG), सहकारी समितियाँ, संस्थाएँ कार्य क्षेत्र विनिर्माण, सेवा, ट्रेडिंग, ग्रामोद्योग आदि अन्य योजना के अंतर्गत पहले से कोई ऋण नहीं लिया हो प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) के लिए आवेदन कैसे करें? 🔹 ऑनलाइन आवेदन: आधिकारिक वेबसाइट www.kviconline.gov.in/pmegp पर जाएं “PMEGP E-Portal” में “Individual Applicant” का चयन करें पंजीकरण करें और लॉग इन करें आवश्यक जानकारी भरें जैसे — आधार नंबर, बैंक डिटेल, व्यवसाय विवरण आवश्यक दस्तावेज़ अपलोड करें (आधार कार्ड, प्रोजेक्ट रिपोर्ट, पासपोर्ट साइज फोटो, जाति प्रमाण पत्र) फॉर्म सबमिट करें प्रशिक्षण पूरा करने के बाद ऋण स्वीकृति की प्रक्रिया आगे बढ़ती है 🔹 ऑफलाइन आवेदन: आप DIC (District Industries Centre), KVIC/KVIB कार्यालय, या बैंक शाखा में जाकर भी आवेदन कर सकते हैं सभी दस्तावेज़ के साथ आवेदन फॉर्म भरें आवेदन के बाद पात्रता सत्यापन होता है और फिर बैंक द्वारा ऋण स्वीकृत किया जाता है प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) में सब्सिडी और परियोजना लागत प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) के तहत लाभार्थियों को शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अलग-अलग दरों पर सब्सिडी प्रदान की जाती है। सामान्य वर्ग के आवेदकों को शहरी क्षेत्र में 15% और ग्रामीण क्षेत्र में 25% तक की सब्सिडी दी जाती है। वहीं, SC/ST/OBC, महिलाएं और पूर्व सैनिक जैसे विशेष वर्गों को शहरी क्षेत्र में 25% और ग्रामीण क्षेत्र में 35% तक की उच्च सब्सिडी का लाभ मिलता है। इस योजना के अंतर्गत अधिकतम ₹10 लाख तक की परियोजना लागत सेवा उद्योग के लिए और ₹25 लाख तक की लागत निर्माण या उत्पादन आधारित व्यवसायों के लिए निर्धारित की गई है। इस योजना का उद्देश्य युवाओं और स्वरोजगार इच्छुक नागरिकों को आर्थिक सहायता प्रदान कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। योजना के अंतर्गत लाभार्थी को बैंक द्वारा ऋण दिया जाता है, जिसमें एक निश्चित हिस्सा सरकार द्वारा सब्सिडी के रूप में दिया जाता है और शेष राशि लाभार्थी द्वारा समयबद्ध तरीके से चुकाई जाती है। इस प्रकार, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना (PMEGP) नए व्यवसायों को प्रारंभ करने में आर्थिक रूप से सहायक होती है और ग्रामीण एवं शहरी बेरोजगारी को कम करने में अहम भूमिका निभाती है। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) के लिए आवश्यक दस्तावेज़ दस्तावेज़ उपयोग आधार कार्ड पहचान प्रमाण PAN कार्ड वित्तीय प्रमाण बैंक पासबुक लोन ट्रांसफर हेतु पासपोर्ट साइज फोटो आवेदन पत्र के साथ प्रोजेक्ट रिपोर्ट व्यवसाय योजना के रूप में जाति प्रमाण पत्र SC/ST/OBC लाभार्थियों हेतु एजुकेशनल प्रमाणपत्र 8वीं पास की पुष्टि हेतु (यदि आवश्यक हो) प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) से संपर्क कैसे करें? सेवा विवरण 🌐 वेबसाइट https://www.kviconline.gov.in/pmegp 📞 टोल-फ्री नंबर 1800-3000-0034 📧 ईमेल pmegp-helpdesk@gov.in 📍 संपर्क कार्यालय KVIC, KVIB, DIC, नजदीकी बैंक शाखा जुलाई 16, 2025 Anushil

प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन योजना (PM-SYM) क्या है? जानिए पेंशन योजना की पूरी जानकारी

प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन योजना (PM-SYM) भारत सरकार द्वारा असंगठित क्षेत्र में कार्यरत मजदूरों के लिए शुरू की गई पेंशन योजना है। इस योजना का उद्देश्य है कि असंगठित क्षेत्र में कार्यरत लोग जैसे – रिक्शा चालक, रेहड़ी वाले, घरेलू कामगार, निर्माण श्रमिक, मछुआरे आदि — बुढ़ापे में आर्थिक रूप से सुरक्षित रहें। इस योजना के अंतर्गत पात्र व्यक्ति को 60 वर्ष की आयु के बाद ₹3000 प्रति माह पेंशन दी जाती है। प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन योजना (PM-SYM) का उद्देश्य असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को बुढ़ापे में सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना नियमित मासिक योगदान के बदले गारंटीड पेंशन न्यूनतम निवेश में दीर्घकालिक लाभ असंगठित क्षेत्र में कार्यरत व्यक्तियों को सरकारी सामाजिक सुरक्षा सिस्टम से जोड़ना प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन योजना (PM-SYM) की पात्रता मापदंड विवरण आयु 18 से 40 वर्ष के बीच होना चाहिए मासिक आय ₹15,000 या उससे कम व्यवसाय असंगठित क्षेत्र का कोई भी श्रमिक अन्य EPFO / NPS / ESIC का सदस्य नहीं होना चाहिए दस्तावेज़ आधार कार्ड और बैंक खाता आवश्यक है प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन योजना के लाभ ₹3000 प्रति माह पेंशन 60 वर्ष की आयु के बाद पति-पत्नी दोनों योजना से जुड़ सकते हैं पेंशन सीधे बैंक खाते में DBT के जरिए भेजी जाती है सरकारी योगदान भी श्रमिक के बराबर होता है योजना को LIC of India द्वारा संचालित किया जाता है मृत्यु के बाद, पति/पत्नी को ₹1500 मासिक पेंशन मिलती है (पेंशन नियमों के अनुसार) प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन योजना (PM-SYM) के लाभ ₹3000 प्रति माह पेंशन 60 वर्ष की आयु के बाद पति-पत्नी दोनों योजना से जुड़ सकते हैं पेंशन सीधे बैंक खाते में DBT के जरिए भेजी जाती है सरकारी योगदान भी श्रमिक के बराबर होता है योजना को LIC of India द्वारा संचालित किया जाता है मृत्यु के बाद, पति/पत्नी को ₹1500 मासिक पेंशन मिलती है (पेंशन नियमों के अनुसार) प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन योजना (PM-SYM) में मासिक योगदान कितना है? आयु (वर्ष) योगदान (लाभार्थी) योगदान (सरकार) कुल मासिक जमा 18 ₹55 ₹55 ₹110 25 ₹80 ₹80 ₹160 30 ₹100 ₹100 ₹200 35 ₹130 ₹130 ₹260 40 ₹200 ₹200 ₹400 प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन योजना (PM-SYM) के लिए आवेदन कैसे करें और संपर्क जानकारी ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया: maandhan.in पर जाएं “PM-SYM” विकल्प चुनें Self Enrollment करें या CSC विकल्प चुनें आधार, बैंक डिटेल और ऑटो-डेबिट की सहमति दें रजिस्ट्रेशन पूरा होने पर PRAN नंबर और पेंशन कार्ड मिलेगा ऑफलाइन आवेदन प्रक्रिया: नजदीकी CSC सेंटर जाएं आवश्यक दस्तावेज़ (आधार कार्ड, बैंक पासबुक) साथ ले जाएं VLE द्वारा पंजीकरण करवाएं बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन के बाद पेंशन कार्ड जारी किया जाएगा 📞 प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन योजना (PM-SYM) से संपर्क कैसे करें? सेवा विवरण 🌐वेबसाइट https://maandhan.in 📞हेल्पलाइन 1800-267-6888 📧ईमेल helpdesk-maandhan@gov.in माध्यम Self Enrollment या नजदीकी CSC सेंटर प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन योजना (PM-SYM) भारत सरकार द्वारा असंगठित श्रमिकों को सम्मानजनक वृद्धावस्था देने की दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम है। कम आय वर्ग के लिए यह योजना भविष्य में आर्थिक संकट से सुरक्षा देती है। यदि आप या आपके जानने वाले इस योजना के पात्र हैं, तो जल्द से जल्द आवेदन करें। जुलाई 16, 2025 Anushil

प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना (PM-SY) – पूरी जानकारी | PM Swarozgaar Yojana Kya Hai

प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना (PM-SY)

प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना (PM-SY) भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही एक महत्त्वपूर्ण योजना है जिसका उद्देश्य देश के बेरोजगार युवाओं, श्रमिकों और गरीब वर्ग के लोगों को स्वरोजगार (Self Employment) के लिए प्रोत्साहित करना है। इस योजना के तहत सरकार आर्थिक सहायता और सब्सिडी आधारित लोन प्रदान करती है, ताकि लोग खुद का व्यवसाय शुरू कर सकें और आत्मनिर्भर बन सकें। प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना (PM-SY) का उद्देश्य क्या है? भारत में बेरोजगारी को कम करना युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में छोटे व्यवसायों को बढ़ावा देना MSME सेक्टर को मजबूत करना आत्मनिर्भर भारत अभियान को सहयोग देना प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना (PM-SY) के तहत मिलने वाले लाभ लाभ विवरण ऋण राशि ₹25,000 से ₹10 लाख तक सब्सिडी 15%–25% तक (SC/ST/Women को अधिक लाभ) गारंटी कई मामलों में बिना गारंटी लोन लोन प्रकार व्यवसाय, सेवा, निर्माण आदि अन्य लाभ ट्रेनिंग, मार्गदर्शन, स्किल डेवलपमेंट सहायता प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना (PM-SY) के लिए पात्रता कौन-कौन है? भारतीय नागरिक जिनकी उम्र 18 से 50 वर्ष के बीच हो बेरोजगार युवक या महिला अनुसूचित जाति / जनजाति / पिछड़ा वर्ग / अल्पसंख्यक स्वयं सहायता समूह, महिला उद्यमी ग्रामीण और शहरी गरीब जिनके पास व्यवसाय शुरू करने की योजना है प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना (PM-SY) – क्या है और कैसे लाभ लें? भारत सरकार देश की दिशा में युवाओं, महिलाओं, महिलाओं, निश्चित जातियों, स्व-नियोजित और कमजोर संस्करणों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारत सरकार (PM-ASWAI) की मुख्य योजना को बढ़ावा देना है। इसके साथ काम करने के बजाय दूसरों के लिए एक रोजगार होना चाहिए। इस योजना का सबसे बड़ा केंद्र भारत में अपने आप को मजबूत करना है, विशेष रूप से ग्रामीण और अर्ध शहरी क्षेत्रों में, जहां अधिक बेरोजगारी दरें हैं। प्रक्रिया मंत्री स्वारोजर योग (PM-C) के उद्देश्य इस योजना का मुख्य उद्देश्य बेरोजगार लोगों को अपना व्यवसाय स्थापित करने के लिए प्रेरित करना है। इसके लिए सरकार – यह आसान और कई ऋण देता है। गारंटी मुक्त ऋण सुविधाएं प्रदान की गई हैं। इसके अलावा, कौशल विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण भी दिया जाता है। इस प्रकार यह योजना नए उद्यमियों को नए उद्यमों को नए उद्यमों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक व्यापक समर्थन प्रणाली देती है। प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना (PM-SY) के लिए पात्रता और दस्तावेज़ इस योजना के लाभ के लिए कुछ योग्यता और दस्तावेजों की आवश्यकता होती है। यह 18 से 18 से 50 भारतीय नागरिकों का एक छोटा व्यवसाय शुरू करना चाहता है जो बेरोजगार हैं। विशेष रूप से निर्धारित जाति, जनजाति, महिलाओं और अल्पसंख्यकों को प्राथमिकता दी जाती है। ऋणों में उन्हें अतिरिक्त अनुदान भी दिया जाता है। आवश्यक दस्तावेज: आधा कार्ड पैन कार्ड  बैंक लेखा विवरण पासपोर्ट आकार फोटो। जाति प्रमाणपत्र (यदि उपयोग किया जाता है) व्यावसायिक नियोजन रिपोर्ट बैंक लेखा विवरण पासपोर्ट आकार फोटो। जाति प्रमाणपत्र (यदि उपयोग किया जाता है) व्यावसायिक नियोजन रिपोर्ट ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया (Online Application Process) यदि आपके पास इंटरनेट सुविधा है, तो आप इस योजना के लिए बहुत आसानी से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं: सबसे पहले www.pmegp.gov.in वेबसाइट पर जाएं। होमपेज पर “Individual Application” (व्यक्तिगत आवेदन) विकल्प पर क्लिक करें। आवेदन फॉर्म में मांगी गई सभी जानकारी भरें जैसे—नाम, पता, आधार नंबर, आदि। आवश्यक दस्तावेज़ जैसे पहचान पत्र, बैंक डिटेल्स और व्यवसाय योजना (Project Report) अपलोड करें। आवेदन जमा करने के बाद, आपको संबंधित ट्रेनिंग संस्था (जैसे RSETI) से निःशुल्क प्रशिक्षण के लिए बुलाया जाएगा। प्रशिक्षण पूर्ण करने के बाद बैंक और अधिकारियों द्वारा वेरिफिकेशन किया जाएगा, फिर लोन स्वीकृति प्रक्रिया पूरी की जाएगी। प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना (PM-SY) एक ऐसा अवसर है जिससे लाखों लोग आत्मनिर्भर बन चुके हैं। यह न केवल बेरोजगारी को कम करता है, बल्कि ग्रामीण भारत में नए रोजगार के रास्ते भी खोलता है। अगर आप खुद का छोटा व्यवसाय शुरू करने की सोच रहे हैं, तो यह योजना आपके लिए एक बेहतरीन अवसर हो सकती है।