दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (DAY-NULM) भारत सरकार की एक प्रमुख योजना है, जिसका उद्देश्य शहरी गरीब परिवारों को स्वरोजगार और कुशल मजदूरी के अवसर प्रदान कर उनकी आजीविका को स्थायी रूप से सशक्त बनाना है।
यह योजना शहरी क्षेत्रों में रहने वाले गरीबों को न केवल वित्तीय सहायता देती है, बल्कि उन्हें व्यवसायिक रूप से आत्मनिर्भर बनने में भी मदद करती है।
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Toggleदीनदयाल अंत्योदय योजना योजना का उद्देश्य
इस योजना का प्रमुख उद्देश्य है:
- शहरी गरीबों की आर्थिक अस्थिरता और बेरोजगारी को कम करना
- उन्हें स्वरोजगार और प्रशिक्षण के ज़रिये आजीविका के स्थायी साधन उपलब्ध कराना
- स्वयं सहायता समूहों (SHGs) का गठन कर जमीनी स्तर पर मजबूत संस्थान बनाना
ऋण सहायता और वित्तीय लाभ
DAY-NULM योजना के अंतर्गत गरीब शहरी नागरिकों को कम ब्याज दर पर ऋण सहायता दी जाती है ताकि वे स्व-रोजगार या छोटे व्यवसाय शुरू कर सकें।
🔹 व्यक्तिगत उद्यम के लिए ऋण:
- अधिकतम परियोजना लागत: ₹2,00,000
- 50,000 रुपये तक के ऋण पर कोई मार्जिन मनी नहीं
- 50,000 रुपये से ऊपर के ऋण पर 5% तक मार्जिन मनी, लेकिन अधिकतम 10% तक
🔹 स्वयं सहायता समूह (SHG) के लिए ऋण:
- प्रति सदस्य अधिकतम ₹2 लाख या समूह के लिए कुल ₹10 लाख तक का ऋण
- मार्जिन मनी का नियम वही लागू होता है: ₹50,000 तक कोई मार्जिन मनी नहीं, उससे अधिक पर 5% (10% से अधिक नहीं)
🔹 ब्याज दर और पुनर्भुगतान
- ब्याज दर: EBLR + 3.25% (अभी प्रभावी दर: 12.15% – दिनांक 15.02.2025 से)
- ऋण पुनर्भुगतान अवधि: 6 से 18 महीने की छूट अवधि के बाद 5 से 7 वर्ष तक
- सब्सिडी: बैंक ऋण पर अतिरिक्त 7% ब्याज सब्सिडी उपलब्ध है
- क्रेडिट गारंटी: वर्तमान में उपलब्ध नहीं
आवेदन कैसे करें?
- नगर निगम या नगर पंचायत के तहत स्थापित शहरी आजीविका मिशन कार्यालय से संपर्क करें
- संबंधित बैंक शाखा में आवेदन फॉर्म प्राप्त कर भरें
- आवश्यक दस्तावेज़ों के साथ फॉर्म जमा करें
- बैंक द्वारा आवेदन की सक्रियता, योग्यता और योजना के अनुसार मूल्यांकन किया जाएगा
जरूरी दस्तावेज़
- आधार कार्ड
- निवास प्रमाण पत्र
- आय प्रमाण पत्र
- पासपोर्ट साइज फोटो
- बैंक खाता विवरण
- स्वरोजगार प्रस्ताव (Business Plan)
योजना का असर (Impact of the Scheme):
इस योजना का प्रभाव देशभर में व्यापक रूप से देखने को मिला है। हजारों शहरी गरीब परिवारों को इससे आजीविका के नए साधन प्राप्त हुए, जिससे उनकी जीवनशैली में सुधार आया। योजना के अंतर्गत स्वयं सहायता समूहों (SHGs) का गठन तेज़ी से हुआ, जिससे सामूहिक रूप से उद्यमिता को बढ़ावा मिला। स्ट्रीट वेंडर्स को पहचान मिली और उन्हें आर्थिक सुरक्षा भी प्राप्त हुई, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सके। इसके साथ ही, महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में यह योजना एक मजबूत स्तंभ साबित हुई, क्योंकि उन्हें न केवल प्रशिक्षण बल्कि ऋण और सब्सिडी के माध्यम से स्वरोजगार के अवसर भी मिले।